Saturday, May 06, 2006

सोच-फैज़

क्यूं मेरा दिल शाद नहीं है क्यूं खामोश रहा करता हूं
छो़डो मेरी राम कहानी मैं जैसा भी हूं अच्छा हूं

मेरा दिल गमग़ीं है तो क्या गमगीं ये दुनिया है सारी
ये दुख तेरा है न मेरा हम सब की जागीर है प्यारी

तू गर मेरी भी हो जाये दुनिया के गम यूं ही रहेंगे
पाप के फ़न्दे, ज़ुल्म के बन्धन अपने कहे से कट न सकेंगे

गम हर हालत में मोहलिक है अपना हो या और किसी का
रोना धोना, जी को जलाना यूं भी हमारा, यूं भी हमारा

क्यूं न जहां का गम अपना लें बाद में सब तदबीरें सोचें
बाद में सुख के सपने देखें सपनों की ताबीरें सोचें

बे-फ़िक्रे धन दौलत वाले ये आखिर क्यूं खुश रहते हैं
इनका सुख आपस में बाटें ये भी आखिर हम जैसे हैं

हम ने माना जंग कड़ी है सर फूटेंगे,खून बहेगा
खून में गम भी बह जायेंगे हम न रहें, गम भी न रहेगा

1 Comments:

Blogger Veena said...

Aapki Aankhen Uchi Hui To Dua Ban Gai
Neechi Hui To Haya Ban Gai
Jo Jhuk Kar Uthi To Khata Ban Gai
Aur Uth Kar Jhuki To Ada Ban Gai...

Love

10:29 PM  

Post a Comment

<< Home