दोंनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के-फैज़
दोंनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शबे-ग़म गुज़ार के
वीरां है मैकदा ख़ुमो-साग़र उदास हैं
तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के
इक फुर्सते-गुनाह मिली, वो भी चार दिन
देखे हैं हमने हौसले परवरदिगार के
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिलफरेब हैं ग़म रोज़गार के
भूले से मुस्कुरा तो दिये थे वो आज फै़ज
मत पूछ वलवले दिले-नाकर्दाकार के
हम पर तुम्हारी चाह का इल्जा़म ही तो है
दुश्नाम तो नहीं है ये अक़ाम ही तो है
करते हैं जिसपे तअन कोई जुर्म तो नहीं
शौके-फिज़ूलो-उल्फ़ते-नाकाम ही तो है
दिल नाउमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
फैज़
5 Comments:
Bas ab ek haan ke intezaar me raat yunhi guzar jaayegi,
ab toh bas uljhan hai saath mere neend kahan aayegi,
Subah ki kiran na jaane konsa sandesh laayegi,
rimjhim is gungunayegi ya pyaas adhuri reh jaayegi...
shayari.net/index.php
nice shayari i loved it thanks for sharing Shayari mehfil
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nyc shyari
https://www.ojhalpoetry.in/2020/05/sad-feeling-poetry-for-whatsapp-status.html
Maa Ke Liye Shayari
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