Sunday, March 05, 2006

बच्चों कि लिए- इकबाल

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी शम्मअ़ की सूरत हो खुदाया मेरी

दूर दुनिया का मेरे दम से अंधेरा हो जाये
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए

हो मेरे दम से युंही मेरे वतन की ज़ीनत
जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत

ज़िन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत यारब
इल्म की शम्मअ़ से हो मुझको मोहब्बत

हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्द-मन्दों से, ज़ईफों से मोहब्बत करना


मेरे अल्लाह! बुराई से बचाना मुझको
नेक जो राहा है उस पर चलाना मुझको

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